धरती का मान बढ़ाएंगे – देव कांत मिश्र ‘दिव्य

Devkant

धरती का मान बढ़ाएंगे – विधा: गीत(१६-१६)

जन्म लिए हैं दिव्य भूमि पर
धरती का मान बढ़ाएँगे।
रंग-बिरंगे फूल खिलाकर,
बागों को खूब सजाएँगे।।

धरा हमारी मातृ तुल्य हैं,
सच्ची सेवा भाव रखेंगे।
हरे-भरे पेड़ों से प्रतिदिन,
सुंदर मधुरिम सस्य चखेंगे।।
ऊसर भू हरियाली लाकर,
नित नूतन फूल खिलाएँगे।
जन्म लिए हैं ——- बढ़ाएँगें।

नदियों की जलधारा से नित,
आगे ही बढ़ते रहना है।
कभी नहीं तरु को काटेंगे,
यही वचन सबको कहना है।।
तरु को पुत्र तुल्य हम मानें,
यह गुण सबको बतलाएँगे।
जन्म लिए हैं ———–बढ़ाएँगे।

मात हमारी पहली गुरु हैं,
चरणों में शीश झुकाना है।
शुभाशीष गुरुवर से पाकर,
मन में विश्वास जगाना है।
पिता बंधु से नेह लगाना,
यह गुण सबको सिखलाएँगे।
जन्म लिए हैं ———बढ़ाएँगे।

देवकांत मिश्र ‘दिव्य’ सुलतानगंज, भागलपुर, बिहार

0 Likes
Spread the love

Leave a Reply