जय त्रिपुरारी
सुन लो विनय हमारी,
हे उमापति त्रिपुरारी।
मैं आई शरण तुम्हारी
प्रभु दूर करो अंधियारी।
अँखिया मेरी है प्यासी,
तेरे दर्शन की अभिलाषी।
हे गिरिजापति कैलाशी,
अब दर्शन दो अविनाशी।
जय जय जय जटाधारी,
सुनो लो अरज हमारी।
मैं पूजा करूं तुम्हारी,
प्रभु रखो लाज हमारी।
घट–घट के तुम हो वासी,
तेरे चरणन की मैं दासी।
सुध ले लो हे कैलाशी,
प्रभु तुम हो अनर्थनाशी।
कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”
मध्य विद्यालय, बाँक जमालपुर
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