उठो जवानों, चलो बनाओ,
नव युग का इतिहास रचाओ।
हौसलों से भर दो धरती और गगन,
हर दिशा में करो आलोकित जीवन।
तुम हो शक्ति, तुम हो रणवीर,
तुम्हीं में छुपा है संसार का नीर।
हर सपने को साकार करो,
आलस त्याग, कर्म का भार भरो।
जागो, उठो, समय है पुकारता,
हर युवा में इतिहास निखारता।
ज्ञान का दीप जलाकर चलो,
अंधियारे को मिटाकर चलो।
नहीं हार मानो, न रुकने दो पथ,
हर कण में भरो नवल उत्साह।
तुम्हारे हाथों में है जगत का भव,
तुमसे ही है यह देश नव।
न कोई बाधा, न कोई सीमा,
तुम्हारे आगे झुके हर दीमा।
सपनों को हकीकत में बदल दो,
अपनी शक्ति से दुनिया हिला दो।
युवाओं, चलो देश संवारें,
नई रीत-नीति का दीप जलाएं।
विवेकानंद का स्वप्न सजाएं,
भारत को फिर विश्व गुरु बनाएं।
सुरेश कुमार गौरव,प्राचार्य, उ.म.वि.रसलपुर, फतुहा, पटना (बिहार)
