जीवन के रास्ते – रूचिका

Ruchika

 

अँधेरी रात के बाद आती उम्मीदों भरी सुबह,

हर हाल में जीवन के तू सदा मुस्कुराता रह,

वक़्त का पहिया अनवरत घूमता रहता है,

किंतु-परंतु छोड़ अपनी बातों को तू कह।

काँटों के संग फूलों का रहता बसेरा है,

निराशा की घनी रात बीच आशा का सवेरा है,

पतझड़ ही सिखाते हैं नई कोपलों को खिलना,

बाधाओं ने ही सफलता को सदा घेरा है।

जिंदगी के अनुभव नया सबक सिखाती है,

हौसले हों तभी हमें जिंदगी भी रास आती है,

गिरकर ही सँभलने का हुनर सीख पाते हैं,

नफरत ही प्रेम की महत्ता हमें बतलाती है।

मित्र और शत्रु दोनों ही जीवन में मिलते हैं,

कीचड़ में ही खूबसूरत कमल खिलते हैं,

सोच में अगर सकारात्मकता और सच्चाई हो,

हिम्मत ही हमारे हर ज़ख्म को सिलते हैं।

रूचिका
रा. उ. म. वि. तेनुआ, गुठनी, सीवान

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