दुर्बल -जयकृष्णा पासवान

Jaykrishna

दुर्बल को ना सताईये,
जाकी माटी होय ।
दुर्बल जग शीतल करे,
आपहु शीतल होय।।
मधुर वचन से जग लुभा,
कठोर वचन अहंकारी।
जैसे धू-धू समा जले,
तीनों कुल विनाशकारी।।
समय मांग की रुप रेखा,
सर-मंडराये होय ।
निर्बल -दुर्बल सब मिली,
राजा बनाये जोय।।
विधि -विधान की ये दशा,
थर-थर कांपैय लोग ।
शासक- मंत्री धन लुटाये,
जनता बना वियोग ।।
जागो-जागो ढ़ंका बजा,
राजा रंक फ़कीर।
अपनी किस्मत खुद लिखो,
मन- मत होत अधीर।।
“जयकृष्ण की पीड़ा हृदय-
छेदन को ,
वार-वार करत आघात।
शासक चले डार-डार तो,
मेरी लेखनी चले पात ।।


जयकृष्णा पासवान
सहायक शिक्षक उच्च विद्यालय बभनगामा, बाराहाट (बांका)

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