श्रमिक दिवस पर हम सभी, करें श्रमिक-सम्मान।
श्रम की निष्ठा में निहित, नवल शक्ति पहचान।।
श्रम को जीवन धारिए, करिए मत आराम।
यही श्रमिक की साधना, यही फलित आयाम।।
सत्कर्मों का फल सदा, करता मन-अभिराम।
श्रम के बल आगे बढ़ें, लेकर प्रभु का नाम।।
धरती धारण कर रही, सब जीवों का भार।
यह तो माता तुल्य है, करिए इनसे प्यार।।
संबंधों के बीच जब, पड़ता नहीं दरार।
लगता जैसे बह रहा, अमिय सुखद रसधार।।
तपिश ग्रीष्म की कर रही, सबको नित बेहाल।
मानव अब जाओ सँभल, बदलो अपनी चाल।।
भारी गर्मी पड़ रही, जीव-जंतु बेहाल।
मेघराज करिए कृपा, चलकर दुलकी चाल।।
सब ईश्वर के अंश हैं, सकल सृष्टि के जीव।
प्रेम-भाव रखिए सदा, हों दुख नहीं अतीव।।
सोन चिरैया कह रही, कैसे पहुचूँ नीड़।
दाना मिलते हैं नहीं, हृदय भरी है पीड़।।
अंतर्मन से कर्म को, देखो सौ सौ बार।
सच्चे कर्मों में छिपा, जीवन का उपहार।।
देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
मध्य विद्यालय धवलपुरा, सुलतानगंज,
भागलपुर बिहार