नवजीवन संचार- अपराजिता कुमारी

Aprajita

शीत शरद की हो रही विदाई
धरती मानो ले रही अंगड़ाई
ऋतुराज की हो रही अगुवाई
प्रकृति बसंती रंग में रँगाई।

गुनगुनी धूप, स्नेहिल हवा
सुंदर दृश्य, सुगंधित पुष्प
मंद-मंद मलय पवन,
वृक्षों पर बौर की सुगंध
अमराई की भीनी-भीनी
खुशबू हवा में फैलाई।

प्रकृति ने श्रृंगार करवाई
तरुवर लताएँ नवपल्लव-
नवकुसुमों से सजी-सँवरी
नई-नई कोपलें फूट पड़ीं
कोयल की कूहु-कुहू बोली

लहलहाती फसलों से भरी
पीली सरसों के फूलों से भरी
रंग बिरंगे मोहक फूलों से भरी
धरती और प्रकृति लग रही
जैसे अल्हड़ नवयौवना

पीली सरसों के
फूलों की चुनरी ओढ़े
फूलों से मोहक सिंगार किए
आम, महुए की मादकता लिए
तितलियों से अठखेलियांँ करती
अनुपम सौंदर्य बिखेर रही

पक्षियों का कलरव
जैसे पायल की झंकार
मौसम की नई बयार
सबों में कर रही
नवजीवन संचार।

बसंती रंग में रंगी
धरती सब में
उमंग उल्लास भर रही
रंग-बिरंगे रंगों से
धरती के जीवन को
रंग रंगीला बना रही
प्रकृति बसंती रंग में रँगाई

अपराजिता कुमारी
रा. उ. म. विद्यालय
जिगना जगरनाथ
प्रखंड-हथुआ
जिला-गोपालगंज

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