नव संकल्प ले नव विहान का,
नूतन अभिनन्दन कर लो।
जो विकृति हो अपसंस्कृति हो,
उसका चलो शमन कर लो।
नव संकल्प ले नव विहान का,
नूतन अभिनन्दन कर लो।
मन मंदिर में राम चेतना का,
अब सहज सृजन कर लो।
मानव से अनुराग राग का,
जीवन में भी वरण कर लो।
नव संकल्प ले नव विहान का ,
नूतन अभिनन्दन कर लो।
माना यह नव वर्ष न अपना,
शुभ की हो शुरुआत सही।
मन में राम जो बस जाएँगे,
शुभ मंगल का बास वही।
नव संकल्प ले नव विहान का,
नूतन अभिनन्दन कर लो।
जो संस्कृति लूट मार की,
दानव के संस्कारों की।
उसके शमन दमन करने को,
शास्त्र शस्त्र ग्रहण कर लो।
नव संकल्प ले नव विहान का,
नूतन अभिनन्दन कर लो।
डॉ स्नेहलता द्विवेदी आर्या
उत्क्रमित कन्या मध्य विद्यालय शरीफगंज, कटिहार
0 Likes