नाता अटूट है – गिरींद्र मोहन झा

Girindra Mohan Jha

नाता अटूट है- बहन और भाई,
रेशम का धागा औ’ भाई की कलाई,
बहन के लिए क्या-क्या सौगातें आयीं,
प्रेम की, रक्षा की, कितनी खुशहाली छायी,
राखी के ऋण से ही कृष्ण हस्तिनापुर में,
याज्ञशेनी द्रुपदसुता की मान-लाज बचाई,
विवेकानंद शिकागो में जब वाचन किया-
अभूतपूर्व ये दोनों शब्द- बहन और भाई,
इन शब्दों ने उन्हें प्रथम तालियाँ दिलवायी,
भारत का यह पर्व जाने क्या कुछ छोड़ गया,
कन्याओं ने नृपों को राखी दे रक्षा-नाता जोड़ लिया,
रक्षाबंधन का यह पर्व भाई-बहन का प्रेम दर्शाता है,
रेशम के धागे से ही रक्षा का अटूट नाता जुड़ जाता है ।
……गिरीन्द्र मोहन झा

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