अगर चाह हो कुछ करने की,
करें नित्य श्रम का सम्मान।
श्रम के आगे झुकते सारे,
पूरे होते लक्ष्य महान।।
एकलव्य के श्रम को देखें,
वीर धनुर्धर हुआ महान।
मल्लाहों का नाम बढ़ाया,
पूर्ण किया अपना अरमान।।
दशरथ माँझी का श्रम जानें,
रचा शक्ति का नवल वितान।
धीर-भाव के श्रम-सीकर से,
लाया जीवन शुभ्र विहान।।
श्रम को प्रतिदिन सरस बनाएँ,
कार्य तभी होगा अभिराम।
लक्ष्य-पूर्ति होने तक किंचित्
इसे कभी मत दें विश्राम।।
देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
मध्य विद्यालय धवलपुरा सुलतानगंज, भागलपुर, बिहार
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