पूर्वजों को श्रद्धांजलि
जिनके बांहों में झूले,
छाया पा के गम भूले,
जीवन में फले-फूले, उनके आशीष से।
भरपूर प्यार दिया,
हमको संस्कार दिया,
मिलती मंजिल नहीं, केवल कोशिश से।
अपनों का साथ पाया,
छत सा शीतल छाया,
पग-पग पर सदा, बचाया साजिश से।
जब था भटक रहा,
अनजाने डगर पे,
बांहों का सहारा देके,निकाला गर्दिश से।
जैनेंद्र प्रसाद रवि’
म.वि. बख्तियारपुर पटना
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