नेह सुधा छलकाती है माँ
कितना प्यार लुटाती है माँ।
आंखों से झड़ते हैं मोती
दूर कभी जब जाती है माँ।।
हर लेती मन की हर पीड़ा
जब हँस गले लगाती है माँ।
माँ की बातें लगे सुहानी
जीना सदा सिखाती है माँ।।
आँखें बांट निहारा करती
मन से तुझे पुकारा करती।
गई कहाँ हैं माँ सच कहना
मुझसे क्यों किनारा करती।
जहां कहीं भी तन्हा होती
मुझको तेरी याद सताती।
तुझ बिन मेरा जीवन सूना
मुझको सारी रात जगाती।
जो बातें मैं कह ना पाती
बिना कहे अब तुम सुन जाती।
मन मेरा नाम होता उदास
काश कहीं माँ तुम दिख जाती।।
मीरा सिंह “मीरा”
+२, महारानी उषारानी बालिका उच्च विद्यालय डुमराँव, जिला-बक्सर, बिहार
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