सनातन पर नाज
रूप घनाक्षरी छंद
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पाँच सौ वर्षों के बाद
वनवास काटकर,
राम रघुवर मेरे अवध में आए आज।
आँगन सजाते सभी
राम गीत गाते कभी,
देश की जनता घर दिवाली मनाती आज़।
संत भक्त गले मिलें,
घर-घर दीप जले,
दशरथ नंदन की माथे पे सजा है ताज।
देश खुशहाल होगा
कोई ना कंगाल होगा,
सारे देश वासी को है सनातन पर नाज़।
जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
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