🙏कृष्णाय नमः🙏
विधा:-रूपघनाक्षरी
(प्रभु सुन लें पुकार)
रात है अमावस्या की,
प्रकाश है खद्योतों से,
हृदय में ध्यान कर,सूर्य प्रभा से संसार।
हिया में विकार भरा,
सोच कर परेशान,
प्रयास है दिशाहीन,प्रभु करें चमत्कार।
धरा के करुणानिधि,
विनती हमारी सुन,
मोह-माया दूर कर,अपने से जोड़ तार।
ध्यान में उतर जाऊँ,
शून्यता को प्राप्त करूँ,
भाव रहे निर्विकार,प्रभु सुन लें पुकार।
(2)
उर को मंदिर बना,
प्रभु नाम दीप जला,
अंधेरों से मुक्ति मिली,पहना विजयी हार।
अखंड ज्योत्सना तले,
धर्मात्मा प्रवास करें,
गंगा का पवित्र नीर,हर प्राणी को स्वीकार।
आधार है आराधना,
जीवन को है साधना,
करके प्रशस्त पथ,खोलना है बंद द्वार।
प्राणवायु का संचार,
जीवन का है प्रमाण,
विकल है क्षणभर,किया नहीं प्रतिकार।
एस.के.पूनम