बचपन अपना – प्रहरणकलिका छंद
हरपल सबसे मिलकर कहते।
हम-सब अपने बनकर रहते।।
बरबस कुछ भी कब हम करते।
सुरभित तन से मन सब हरते।।
बचपन अपना अभिनय करता।
बरबस सबसे अनुनय धरता।।
पल-पल लड़ता मिलकर रहता।
अवसर सबमें समरस गहता।।
इधर-उधर की कहकर चलता।
अधिक समझ से कब वह पलता।।
कठिन सरल का मतलब छलता।
जिस पथ पर है गहन सफलता।।
सफल पथिक मंजिल जब गहता।
भटकन सह कंटक पग सहता।।
गुरुवर मन धीरज जब रखता।
तजकर सुख सादर फल चखता।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क -9835232978
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