ये उड़ान अभी बौनी है
मुझे ऊपर बहुत ही जाना है।
ये थकान अभी थोड़ी है
मुझे अन्त समय तक निभाना है।
आसमान को छूने की
तमन्ना नही दिल में
अनपढ़ों को आसमान से
मिलवाने ले जाना है
ये उड़ान अभी बौनी है
मुझे ऊपर बहुत ही जाना है।
पर्वतों पर चढ़ जाऊँ
ये चाहत नही है मन में
माँ पिता के चरणों तक ही
जा कर रुक जाना है
ये उड़ान अभी बौनी है
मुझे ऊपर बहुत ही जाना है।
ये सोचती नही मैं
कि भगवान मिले मुझको
हँस कर मिलूँ मैं सब से
और मुझे जिन्दगी से चले जाना है।
ये उड़ान अभी बौनी है
मुझे ऊपर बहुत ही जाना है।
लिखती हूँ मैं शब्दों को
पिरोती हूँ मोतियों की तरह
ये तो बस एक झोपड़ी है
मुझे कविताओं का महल बनाना है।
ये उड़ान अभी बौनी है
मुझे ऊपर बहुत ही जाना है।
ये थकान अभी थोड़ी है
मुझे ऊपर बहुत ही जाना है।
ये थकान अभी थोड़ी है
मुझे अन्त समय तक निभाना है ।
कंचन प्रभा
रा0मध्य विद्यालय गौसाघाट ,दरभंगा