मनहरण घनाक्षरी
तप गई आज धरा,
धूल संग चली हवा
बढ़ गई गर्मी धूप,घर में छुप जाए।
प्रातःकाल उठ कर,
नित्य दिन सैर कर,
सुबह में पेट भर,फल-फूल ही खाए।
नाना नानी परेशान,
खोज-खोज हलकान,
बच्चों को पकड़ कर,नाना जी नहलाए।
अमिया के पेड़ पर,
आम तोड़े छिप कर,
सखा संग मौज करे,चंचल कहलाए।
एस.के.पूनम
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