मानव नव निर्माण – रत्ना प्रिया

Ratna Priya

‘ तमसो मा ज्योतिर्गमय ’ के, मंत्र के आह्वान का |
आज दिवस है राष्ट्र के, मानव नव-निर्माण का ||

अनुसंधान तो हुए बहुत , आयुध के निर्माण को ,
मशीन न गढ़ पाई अब तक, एक सच्चे इंसान को ,
इंसान को गढ़ने वाला, जो सफल निर्माणी है ,
जग में पूजे जाते हैं, वे तो गुरुवर ज्ञानी हैं ,
ऐसे गुरु अधिकारी हैं, श्रद्धा और सम्मान का |
आज दिवस है राष्ट्र के, मानव नव-निर्माण का ||

ज्यों माली निज उपवन में, पुष्पों को सहलाता है ,
गुरु, शिष्य को समभाव से, नित्य सींचता जाता है ,
योग्य शिष्य की खोज तो, सदा गुरु को होती है ,
गुरु-शिष्य की परंपरा में, अनगिन ऐसे मोती हैं,
राष्ट्र ऋणी है सदा गुरु के, ज्ञान और विज्ञान का |
आज दिवस है राष्ट्र के, मानव नव-निर्माण का ||

कुंभकार हाथों में जब, गीली मिट्टी आती है ,
सौंपती सहज स्वयं को, मूल्यवान बन जाती है ,
तपकर कुंदन बनने को, शिष्य अपना संधान करें ,
सद्गुरु को स्वयं सौंपकर, अंतस् का निर्माण करें ,
अंतस् की प्रखरता में, प्रकाश हो दिनमान का |
आज दिवस है राष्ट्र के, मानव नव-निर्माण का ||

रत्ना प्रिया ,
मध्य विद्यालय
हरदेवचक, पीरपैंती, भागलपुर

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