पितु सु माता सौ गुणा
सुत को राखै प्यार ,
मन सेती सेवन करै
तन सु डाॅ॑ट अरु गारि।
इसका अर्थ।
पितु सु माता सौ गुणा -यानि पिता से माता का मान सौ गुणा अधिक है,
सुत को राखै प्यार-वह अपने बच्चों को बहुत प्यार देती है,प्यार से रखती है।
मन सेती सेवन करै-मन में वह बच्चे को सेवती है यानि पालती- पोसती है।
तन सु डाॅ॑ट अरु गारि-यानि मन से बहुत प्यार करती है लेकिन तन से मतलब ऊपर -ऊपर उसको डाॅ॑टती और फटकारती भी है,ताकि बच्चा उदंड न ,शिष्ट हो।
माॅ॑ हीं बच्चों को बनाती है
माॅ॑ हीं बच्चों को संभालती है,
माॅ॑ के फटकार में है दया
रहता अंदर उसके माया,
माॅ॑ -माॅ॑ हीं नहीं वो बच्चों की अन्तर्यामिनी है ।
माॅ॑ हीं बच्चों को समझाती है
माॅ॑ बच्चों को सही राह दिखाती है,
माॅ॑ गंगा जैसी निर्मल है
जिसमें वह हमें नहलाती है,
माॅ॑ के चरणों में है तीर्थ धाम
माॅ॑ के अंदर में है सीता राम,
माॅ॑ के फटकार में है ज्ञान भरा
जिससे बनता जीवन मेरा।
माॅ॑ के फटकार में है जादू भरा
जिसको देखकर मैं हुआ बड़ा,
माॅ॑ का फटकार नहीं आशीर्वाद है ये
जो देती हमें प्रकाश है ये,
माॅ॑ जो कहती सदा सुनना
माॅ॑ की बातों पर न जबाव देना,
बिना पैसे का लेलो आशीर्वाद
सदा सुखी रहेगा तेरा संसार,
रुपए पैसों की न रहेगी कमी
घर में भरे रहेंगे सदा भंडार।
जिसको मिला जीवन में माॅ॑ का आशीर्वाद
उसका जीवन में है रोज त्योहार,
जो माॅ॑ की सेवा दिल से किया
वो देखो आज पीएम बन गया।
कभी न रुठो माॅ॑ की बातों पर
वह अच्छा तुझे सिखाती है,
वह सोचती है मेरा बच्चा बहुत बड़ा इंसान बन जाए
इसीलिए वह फटकार लगाती है।
कभी न रुलाना माता-पिता को
न बोझ समझना तुम उन्हें
करना दिल से उनकी सेवा
रखना सदा दिल के पास उन्हें।
नीतू रानी,
स्कूल -म०वि०सुरीगाँव
प्रखंड -बायसी
जिला -पूर्णियाँ
बिहार।