पथ के राही
चले बेफिक्र
मंजिले दूर हो
रास्ते कठिन हो
पथरीली डगर हो
काँटे बिछे हो
चलना है बस
चलते जाना
रुकना नहीं है
मेरा काम
मै हूँ पथ का
अडिग वो राही
मै हूँ पथ का
निर्भय राही
चला हूँ पथ पर
बढ़ने हेतु
जीवन मे कुछ
करने हेतु
मैं हूँ पथ का
ऐसा राही
जले ना जो
सुर्य की तपन से
थके ना जो
राह के थकन से
मैं हूँ ऐसा निर्भिक राही।
कंचन प्रभा
रा0मध्य विद्यालय गौसाघाट ,दरभंगा
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