उठो,जागो और आगे बढ़ो
विवेकानंद जी का ये नारा,
शून्य की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या कर
बनें विश्व की आँखों का तारा।
तर्क अनेकों दिए उन्होंने
करता हूँ मैं उनको नमन,
जीत गए तो करो नेतृत्व
हार गए तो करो मार्गदर्शन।
बनो विनम्र,बनो साहसी
और बनो शक्तिशाली,
रुको मत,लक्ष्य को प्राप्त करो
तभी कहलाओगे भाग्यशाली।
युग प्रवर्तक,महान विचारक
युवाओं के प्रेरणास्रोत,
युवाओं के मार्गदर्शक बनें
जला दिव्य विचारों के ज्योत।
खुद को मत समझो कमजोर
सब कुछ तुम कर सकते हो,
इरादे अपने मजबूत रखो
फिर काल से भी लड़ सकते हो।
विश्वपटल पर स्थापित कर
भारतीय संस्कृति को दिया मान,
महापुरुष विवेकानंद जी को हम
करते हैं कोटि-कोटि प्रणाम।
स्वरचित एवं मौलिक रचना
संजय कुमार © (अध्यापक )
इंटरस्तरीय गणपत सिंह उच्च विद्यालय, कहलगाँव
भागलपुर ( बिहार )