जी हां मैं 78 वर्षों का स्वाधीन भारत हूं
यूं तो यह उम्र विश्राम की होती है
किंतु
अभी मैं चिर यौवन के शाश्वत शिखर पर हूं
बिना थके, बिना रुके ,आगे अग्रसर हूं
हालांकि
कभी आहत ,कभी मर्माहत भी हूं लेकिन फिर भी
मैं स्वर्णिम भविष्य की आश हूं
कभी न टूटने वाली जीवन की सांस हूं
सत्य, अहिंसा शांति का चमकता एक सितारा हूं
मुझे दूर तलक जाना है
सबको संदेश सुनना है
द्वंद युद्ध के ताने-बाने में,
भारत ही एक आशा है
हूं मैं शांति दूत
भारत माता के सपूत
रचयिता – चंद्रशेखर कुमार गुप्ता
शिक्षक प्रा वि टंडवा
गया जी
बिहार
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CHANDRA SHEKHAR KUMAR GUPTA