रेशम की डोरी में गुंफित, भाई-बहन का प्यार |
श्रावण लेकर आया पावन, राखी का त्यौहार ||
नारी माँ, भगिनी, पुत्री है, संस्कृति का श्रृंगार है,
शील, क्षमा, ममता करूणा की ,वह अनुपम भंडार है,
उसकी पुलकन से पुलकित है, यह सारा संसार |
श्रावण लेकर आया पावन, राखी का त्यौहार ||
नारी की गरिमा में ही अब, सूर-संस्कृति की शान है ,
उसकी रक्षा से हो सकता, जगती का कल्याण है,
पुनः विश्व में गौरव पाए, यह पवित्र आधार |
श्रावण लेकर आया पावन, राखी का त्यौहार ||
बंधन की गरिमा समझें हम, ऋषियो की संतान हैं,
जुड़े इस शुभ धागे से,सबके तन-मन प्राण हैं,
स्नेह परस्पर बढ़े तभी होगा जीवन में उजियार |
श्रावण लेकर आया पावन, राखी का त्यौहार ||
मन की संकीर्णता छोड़कर, करना उसे उदार है,
करना अति पावन संस्कृति का, जन-जन में विस्तार है,
त्यागें हर छल-कपट, हो सके शुचिता का संचार |
श्रावण लेकर आया पावन, राखी का त्यौहार ||
रत्ना प्रिया ,
मध्य विद्यालय,
हरदेवचक, पीरपैंती, भागलपुर