जैसी माँ की बिन्दी,
वैसी है हमारी हिन्दी।
लालिमा लिए ललाट पे चमके,
शब्द-शब्द में सौंधी महके।
संस्कारों की प्यारी गाथा,
मिट्टी की खुशबू का साथा।
कबीर की दोहे वाली,
तुलसी की चौपाई वाली।
शिव की शक्ति, राम की गाथा,
भारत माँ का सबसे प्यारा माथा।
गीतों में लोरी सी मधुराई,
भाषाओं में इसकी छवि निराली।
दिलों को जोड़े, मन को साधे,
हिन्दी से ही जीवन बाँधे।
जैसी माँ की बिन्दी,
वैसी है हमारी हिन्दी।
सम्मान करो, मान बढ़ाओ,
हिन्दी का परचम लहराओ।
राहुल कुमार रंजन
शिक्षक
मध्य विद्यालय ओरलाहा, बड़हरा कोठी, पूर्णिया
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