रिश्ते दिलों के निभाये हैं हमने,
गमों में भी अक्सर मुस्कुराये हैं हमने।
है बहुत हीं प्यारा ये नाजुक सा बंधन,
फूलों की भांति संवारा है हमने।
कभी डांट फटकार आंचल में भरकर,
सासू की शिक्षा पाई है हमने।
कोई मुंह फुलाए व आंसू बहाए ,
लिए स्नेह मलहम लगाये हैं हमने।
नन्दी की चुटकी व देवर की मस्ती,
मिथिला की संस्कृति बचाई है हमने।
बच्चों के झगड़े व बूढ़ों के रगड़े,
बड़े प्यार से निपटाये हैं हमने।
कभी चिड़चिड़ापन में होती अकेली,
पिया जी का फिर साथ पाया है हमने।
रहा व्यस्त जीवन, बढ़ी जब भी उलझन,
सखियों की बैठक बुलाई है हमने।
स्वरचित –
मनु कुमारी
प्रखंड शिक्षिका,मध्य विद्यालय सुरीगांव,बायसी, पूर्णियां बिहार
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