रोशनी की उदासी-रीना कुमारी

रोशनी की उदासी

मेरे स्कूल की एक है बच्ची रोशनी उसका नाम।
पढ़ने के साथ साथ वो करती
है अच्छे काम।
एकदिन था उसका मन उदास,
मैंने तब पूछा जाकर उसके पास।
पहले वो बहुत ही हिचिकिचाई,
फिर बोली वह कुछ शरमाई।
ये लाल रक्त से परेशान हूँ मैं,
समझ न आता कि क्या करूँ मैं।
आखिर लड़कियों को क्यों आता,
इससे मन बहुत ही घबरा जाता।
मैंने कहा घबराने की बात नहीं ,
उम्र बढ़ने के साथ ये होता सही।
मन में न रखो उलझन ही कोई,
मासिक धर्म झेले स्त्री सब कोई।
गंदे-अशुद्द रक्त बाहर हो जाते,
शुद्ध रक्त फिर शरीर में बनते ।
अतः संतुलित अहार लेते रहना,
अपने शरीर को स्वस्थ बनाना।
एक लड़की ही बनती माता रुप,
अतः पौष्टिक अहार लो खुब।
हर महीने में क्रम ये चलता,
सेनेटरी पेड लेना अच्छा रहता।
गंदे कपड़े का न करना उपयोग,
इस्से हो जाते बहुत गंभीर रोग।
अतः स्वस्थ तुम रहना सीखो,
बीमारी को सदा भगाना सीखो।
बढ़ती उम्र की होती ये निशानी, जीवन में ये होता आनी- जानी।
अतः कमी न रहो इस्से उदास,
जीवन में इसका उद्देश्य है खास।
इस्से न होता है कुछ भी हास,
समझो तुम हो लड़की हो खास।
फिर वो बहुत कुछ समझ गई,
खुश होकर मुझसे वो लिपट ग्ई।

रीना कुमारी।(शिक्षिका)
प्रा० वि० सिमलवाड़ी प० टोला।
प्रखण्ड -बायसी।
जिला-पूर्णियॉं।

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Reenakumari1

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