विवेकानंद – अहीर छंद
मानव का निज धर्म ।
किए सदा शुचि कर्म।।
लिए अलौकिक ज्ञान।
दिए अलग पहचान।।
अद्भुत बुद्धि विवेक।
विवेकानंद नेक।।
सपने लिए अनेक।
करना भारत एक।।
बनें गुरु परमहंस।
नरेंद्र बनकर हंस।।
सबसे उत्तम शिष्य।
भावपूर्ण परिदृश्य।।
रूढ़िवाद कर अंत।
धर्म सभा गह संत।।
अपना भारत देश।
बदल सकें परिवेश।।
भारत का इतिहास।
करे नहीं उपहास।।
रखकर हृदय विशाल।
किए अनेक कमाल।।
शाक आहार भक्ष्य।
लिए उच्चतम लक्ष्य।।
करते प्रयत्न आप।
मिटे अत्याचार पाप।।
जीवन बावन वर्ष।
नमन करें हम हर्ष।।
लिखना मुश्किल छंद।
करता पाठक बंद।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश, पालीगंज, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
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