विषय-माहवारी औरतों के लिए ईश्वरीय वरदान।
दिनांक-28/05/23
ईश्वर ने दिया महिलाओं को यह सुंदर वरदान
महिलाओं के लिए है यह आन- बान- शान
जिसके चलते आज हर घर में खेल रहा है
सुन्दर प्यारा शिशु संतान।
जिस महिला को ईश्वर ने नहीं दिया माहवारी का वरदान
लोग उसे कहते हैं निसंतान ,
उसका जीवन नरक सा बना है
जैसे बिना फल- फूल के उदास बागवान।
इसीलिए जिन महिलाओं को दिया ईश्वर ने माहवारी का वरदान,
वो उस समय रहे स्वच्छ व सुन्दर
और करें स्वच्छता से सब काम।
करें स्वच्छता से सभी काम
और करें कुछ देर आराम,
क्योंकि इस समय दो घंटे तक
पेट दर्द छुटने का नहीं लेता है नाम।
माहवारी को छूआछूत न समझें
करें सभी इनका सम्मान,
इसके बिना संतान नहीं होगा
ये है ईश्वर का दिया वरदान।
सभी बच्ची,बहनों से है मेरा कहना
माहवारी है महिलाओं के लिए है असली गहना ,
गंदगी से सदा दूर है रहना और
साफ कपड़े,पैड , नैपकीन माहवारी में इस्तेमाल है करना।
आज है माहवारी दिवस
मनाएँ सभी बच्चियाँ और महिलाएँ मिलकर,
सभी बच्चियों को दें इसकी जानकारी
ताकि बच्चियाँ लज्जा तोड़ बोले बड़ों से दिल खोलकर ।
लघुकथा
आइये पढ़िए,मेरी दादी के समय में ये घटी सच्ची घटना ,जिसको मैं लघुकथा में लिखी हूॅ॑।
एक शादीशुदा लड़की थी ।वह एक दिन माहवारी हुई ,वह अपने घर का पुराना साड़ी का टुकड़ा फाड़कर माहवारी में ले ली ,और बाॅ॑की कपड़े को घर के पीछे टाट यानि बाॅ॑स का घर का जो टाट( यानि दिवाल) रहता है उसी में वह खोंस दी ।
जब उसका पहला लिया हुआ कपड़ा गीला हो गया तब वह रात में दूसरा कपड़ा बदलने गयी और अंधेरे में वह जल्दी -जल्दी बिना झाड़े वह कपड़ा अंदर ले ली । कुछ दिन बाद वह गर्भवती हुई ,जब समय पूरा हो गया तब वह डाॅक्टर के पास गयी , डाॅक्टर बोला आॅपरेशन करना होगा ।उस लड़की का सब कोई आॅपरेशन में आया , आॅपरेशन शुरू किया ,जैसे हीं डाॅक्टर आॅपरेशन के लिए पेट फाड़ा तो देखता है कि उस लड़की के पेट में आदमी का बच्चा नहीं बल्कि सर्प का बच्चा था ,अब तो डाॅक्टर भी डर के मारे थर-थर काँपने लगा और उसके परिवार के सभी सदस्यों को बुलाकर साॅ॑प का बच्चा दिखलाया ।तब लड़की के परिवार वालों ने डाॅक्टर से पूछा ऐसा क्यों । फिर डाॅक्टर ने लड़की से पूछताछ की , लड़की ने अपनी माहवारी के बारे में सारी बातें डाॅक्टर को बतलाई ।तब डाॅक्टर बोले कि जब वह कपड़ा घर के पीछे टाट में खोंसी थी उसी समय किसी सर्पनी ने उस कपड़े के अंदर अंडा दे दी और उस कपड़े को बिना देखे , बिना झाड़े वह माहवारी में ले ली फिर किसी कारण वश वह अंडा उसके शरीर के अंदर ,पेट में चला गया और पेट के अंदर यह फूटकर सर्प बन गया , डाॅक्टर की इस बात को सुनकर सभी आबाक रह गए और बोले कि मेरी बेटी को कुछ होगा तो नहीं , डाॅक्टर बोले हो जाता लेकिन ईश्वर ने इसे बचा लिया। इसीलिए आप सभी पुराने सोच को बदलें , माहवारी के समय साफ कपड़ा या नेपकिन का इस्तेमाल करें ,गंदगी को छोड़ स्वच्छता को अपनाएँ और विश्व माहवारी दिवस को स्वच्छता माहवारी दिवस के रूप में मनाएँ धन्यवाद।
नीतू रानी
स्कूल -म०वि०सुरीगाँव
प्रखंड -बायसी
जिला -पूर्णियाँ बिहार।
सुंदर और प्रेरक रचनाएँ हैं, नीतू जी।