शिखर पर तिरंगा
सुन लो जहां के लोगों जाने वतन हमारा,
विविध है बोली भाषा, दिल एक है हमारा।
मिट्टी है चंदन जिसकी नदियां अमिय का प्याला,
हम तो हैं भारतवासी यह देश है हमारा।
हम एक दूसरे के दिल के बने सहारा,
दर्द जो किसी को हो तो हम दें उसे सहारा।
हिंदुस्तान की थाती संभाल के है रखना,
यह पुण्यभूमि अपनी फिर ना मिले दुबारा।
है स्वर्ग हर गली में, घर- घर में है शिवाला
मन बस गया है इसमें , भारत है जग से न्यारा।
दिल दिल से जोड़ते हैं, सरगम यहां है सारा,
है गीत गजल ठुमरी , कजरी व सोहर प्यारा।
एक ही गुलिस्तां के , पुष्प हम है सारे,
विविध है रंग भाषा , और पंथ प्यारे प्यारे।
है देश सबसे पहले है देश सबसे आगे,
हर हाथ में तिरंगा शिखर पर प्यारे प्यारे।
डॉ स्नेहलता द्विवेदी आर्या
Dr. Snehlata Dwivedi
