सूरज भैया सूरज भैया
क्यों है तुम्हारे गाल लाल
क्या मम्मी ने तुम्हें डाँटा है
या पापा ने मारा तमाचा है?
ये गुलाबी नहीं दिखते मुझको
तुम्हारे अंगारों से भरे, ये गाल
लगता मुझको ऐसे, जैसे किसी ने
किया है तुम्हारा बहुत बुरा हाल।
क्या दीदी ने तुम्हे डाँटा है
या भैया ने मारा चाँटा है?
सब कुछ है कुशल, फिर
क्यों? आसमान में लिए फिर रहे हो
ये लाल-लाल गाल।
तुम्हारी लाल-लाल गाल से,
हम सब हैं बहुत बेहाल।
हम सब हैं बहुत बेहाल।।
तुम्हारी गुलाबी गाल का,
हमें है बहुत इंतज़ार।
हमें है बहुत इंतज़ार।।
अवनीश कुमार
व्याख्याता
प्राथमिक शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय विष्णुपुर, बेगूसराय
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