हनुमान जी का पराक्रम – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

Jainendra Prasad Ravi

🌹प्रभाती पुष्प🌹
हनुमान जी का पराक्रम
छंद:- जलहरण घनाक्षरी


राम जी का कहा मान,
बचाया लखन प्राण,
तुरत ही धौला गिरी, उठा लिया करतल।

लंकापति रावण ने,
अवरूद्ध किया रास्ता,
अंजनी के लाल आगे, एक नहीं चला छल।

जब महावीर जी ने,
बाग़ को उजाड़ दिया,
राक्षस चकित हुए, देख के असीम बल।

वीर हनुमान ने जो,
लंका का दहन किया,
महिमा अपार जान, डर गए दुष्ट दल।

जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

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