हिन्दी की पहचान – अरुण कुमार

🌸 हिंदी की पहचान 🌸

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सिंध से तु हिंद हुआ है ,

हिंद से हिंदुस्तान ।

 जिस भाषा को सीखने आये,

बाहर से अंजान ।

आगे चलकर बट गया तु, भारत-पाकिस्तान……2

चाहे आए जॉर्ज मैकाले,

 चाहे हंटर खास ।

सबको भा गया था भईया, देवनागरी के साख।

 हिंदी, गुजराती , मराठी ,

बना था साठ गांठ ।

 यही वो भाषा है  भईया,

 बढा दी सबकी शान

आगे चलकर बट गया तू ,

भारत पाकिस्तान…….2

सबको भाया हिंदी की माया, जगत में खुब नाम कमाया ।

गांधी नेहरू को ताड गया,

  सात समुंदर पार गया ।

बना तु देश के निशान

मिला जब तुम्हें उचित स्थान।

 जब बना अपना संविधान ।

बढ़ गया तुम्हारी शान ।

आगे चलकर बट गया तु, भारत-पाकिस्तान….2

लल्लू लाल ,सादा सुखलाल ,

सब ने कर दिया कमाल।

 सारे जगत पर इसने भईया, अपना परचम फहराया हैं।

जन-जन से मिलकर भईया 

देश प्रेम  सिखलाया हैं।

भारत को मिला था भईया 

एक नया पहचान ।

आगे चलकर बट गया तु, भारत-पाकिस्तान…..2

खड़ी बोली थी, क्षेत्र बड़ा था। सबके दिल में घुला मिला था। कर न सका  बराबरी कोई,

 पूरा हिंदुस्तान ।

आगे चलकर बट गया तु, भारत-पाकिस्तान……2

14 नवंबर 1949 को जब मिला अपना पहचान।

भारत का बना था अपना संविधान।

 राजभाषा का मान मिला था।

हिंदी का अरमान मिला था 

  एक नया पहचान ।

आगे चलकर बट गया तु भारत-पाकिस्तान……2

      कवि

  अरुण कुमार

9097792885

ब ऊआ पालीगंज पटना

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