ॐ ब्रम्ह का स्वरूप – डॉ स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या

Snehlata

संगीत प्रकृति का ॐ सुनो,
अनहद का यह नाद सुनो।
खुद में खुद के होने का भी,
सुर सुंदर ओंकार सुनो।

कहाँ शुरू यह जीवन होगा,
अंत कहाँ है प्राण सुनो।
ब्रम्ह का रूप है ॐ यहाँ पर,
मानव भी साकार सुनो।

ॐ ब्रम्ह है ॐ ही शिव है,
ॐ , ॐ का नाद सुनो।
ध्वनि नहीं थी कहीं तनिक भी,
तब था ॐ का गान सुनो।

कण कण में है ॐ समाया,
सुबह सुनो या शाम सुनो।
घट घट पल पल जीवन पाहन,
सब में ॐ ही ज्ञान सुनो।

ॐ शक्ति है ॐ भक्ति है,
शिव और शक्ति साथ सुनो।
ॐ स्वयंभू अवतरण धरा पर,
आठ प्रहर आयाम सुनो।

डॉ स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या ‘
उत्क्रमित कन्या मध्य विद्यालय शरीफगंज,कटिहार

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