प्यारा स्कूल मैं ये कहाँ आ गई हूँ,ये सवाल मन में आया है,माँ के साथ जब पहली बार,अनोखे जगह पर पाई हूँ,पढ़ ना पाई मैं नाम कुछ था,बड़़े अक्षरों में…
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दीप ज्योति नमो नमः।
दीप ज्योति नमो नमः। यत्र नास्ति दीपं तत्र वा तिमिरं। आगमनेसतत्र ज्योति कुतो वा तिमिरं।। यतो दीपं ततो धर्म:। दीप ज्योति नमो नमः।। लोके दीपं सत्यस्वरूपं। पथालोकितं यत भूपं।। सदा…
अक्टूबर – रुचिका
देखो,कैसे आ गया अक्टूबर थोड़ी सी ठंडी हवा लेकर, थोड़ी सी सूरज की गर्मी चुराकर थोड़ी सी सूरज में नर्मी लाकर जैसे करने को आतुर है शीत का स्वागत देखो…
छात्रों की वित्तीय साक्षरता – अवधेश कुमार
छात्रों की वित्तीय साक्षरता ज्ञान का मंदिर है विद्यालय, सीखो यहाँ जीवन के विभिन्न पहल । सिर्फ अंक नहीं, समझो ये बात, धन का प्रबंधन भी है अनोखा खेल। बचत…
कल से पक्का पढूंगा – अवधेश कुमार
कल से पक्का पढ़ूंगा – बाल हास्य कविताआज बहुत रात हो गई ,फिर वही बात,कॉपी खुली है पर नींद का है साथ।माँ ने पुकारा — “बेटा, अब अच्छे से सो…
शरद पूर्णिमा – गिरीन्द्र मोहन झा
शरद पूर्णिमा की रात सुहावन, है अति मनभावन, चंद्रमा की चांदनी, उजाला, शीतलता, है अति पावन, चंद्रदेव अमृत-वृष्टि हैं कर रहे, माँ लक्ष्मी का पूजन-अर्चन, कुलदेवी को प्रणाम निवेदित, पान-मखान…
जीवन सुंदर सरस – महामंगला छंद गीत, राम किशोर पाठक
जीवन सुंदर सरस, लगता हरपल खास। कर्म करे जो सतत, होता नहीं उदास।। हारा मन कब सफल, मन के जीते जीत। जो लेता है समझ, बदले जग की रीत।। जीत…
वक्त पूछता है, गिरीन्द्र मोहन झा
वक्त पूछता है रात्रि में शयन से पूर्व वक्त पूछता है, आज तुमने क्या-क्या अर्थपूर्ण किया, सुबह होती है जब, वक्त पूछता है, प्रिय ! आज तुम्हें करना है क्या-क्या,…
बादल, आशीष अम्बर
छोटी-छोटी बूँदें लाएँ, ये मतवाले बादल, श्वेत-स्लेटी, नीले-पीले, भूरे-काले बादल। कैसे-कैसे रूप बदलते, करते जादू-मंतर, हाथी जैसे कभी मचलते, गरजन करें निरंतर। इधर-उधर घोड़ों-से दौड़े, चाबुक वाले बादल, छोटी-छोटी…
मनहर कृष्ण- महामंगला छंद, राम किशोर पाठक
अंजन धारे सतत, कृष्ण कन्हाई नैन। देख लिया जो अगर, कैसे पाए चैन।। मूरत मनहर सुघर, मिले न कोई और। बिना गिराए पलक, देखूँ करके गौर।। श्याम सलोने सुघर, रखें…