दूर धरा की अंधियारी मिट्टी के दीये से जब करते हम, अपने घर की उजियारी, स्नेह के दिये जलाकर कर दें, दूर धरा की अंधियारी। खुशी की फुलझड़ियाँ, और पटाखे…
क्षितिज के पार-दिलीप कुमार गुप्ता
क्षितिज के पार हिम वेदना को पिघलाने नयनो के अश्रुकोश लुटाने विकल मन को त्राण दिलाने अन्तर्मन छवि पावन बसाने आओ चले क्षितिज के पार । कुत्सित भाव विचार…
महारथी कर्ण का वध-दिलीप कुमार चौधरी
महारथी कर्ण का वध कहते थे लोग जिसे सूत-पुत्र ; वह था कुन्ती का प्रथम सुपुत्र । पाण्डवों का था भ्राता ज्येष्ठ ; महा दानवीर और धनुर्धर श्रेष्ठ । होठों…
नये भारत की शक्ति- भवानंद सिंह
नये भारत की शक्ति चाईना अब होगा बर्बाद पंगा लिया है भारत के साथ, भारत के आगे सब झुकता है चीन की क्या है औकात । चीन से मेरा है…
ठनका वज्रपात-अपराजिता कुमारी
ठनका वज्रपात मानसून आ चुका है, बच्चों ! काले काले बादल घिर आए कड़ कड़ कड़ कड़ बिजली कड़की यह बज्रपात ठनका भी हो सकती है। ऐसे में रखनी कुछ…
वर्षा रानी-जैनेन्द्र प्रसाद “रवि”
वर्षा रानी उमड़-घुमड़ कर बादल गरजे बूंदें गिरती आसमानी, पृथ्वी पर अपना प्यार लुटाने आती हैं वर्षा रानी। ग्रीष्म ऋतु से विह्वल होकर पेड़-पौधे मुरझाते, प्रचंड धूप से आहत…
सपने-चंचला तिवारी
सपने आँखो ने रात एक सपना सजाया सपने मे मैंने अपने सपने को पाया उस सपने ने मुझे हर पल जगाया हर क्षण मुझे बस वही नज़र आया आँखो ने…
हाँ गर्व है मुझे-रानी कुमारी
हाँ गर्व है मुझे गर्व है यहाँ के मौसम पर पछुआ-पुरवाई हवाओं पर पर्वत-पहाड़ों, मरुभूमि-मैदानों पर नदी, तालाब, सागर व झीलों पर। गर्व है घाटी के केसर और रेशमी धागों…
मैं प्रकृति हूँ- संदीप कुमार
मैं प्रकृति हूँ मैं प्रकृति हूँ! इंसान मैं तुझे क्या नहीं देती हूँ सबकुछ समर्पित करती हूँ तेरे लिए फिर भी तुम मेरे संग बुरा बर्ताव करते हो क्यों आखिर…
जरा रुक-कुमकुम कुमारी
जरा रुक जरा रुक ऐ मनुष्य किसलिए यूं दौड़ लगाते हो । क्षणिक सुख पाने के लिए, क्यों अपना सर्वस्व गवाते हो। इसलिए ऐ मनुष्य जरा रुक………. जरा रुक विश्राम…