मनहरण घनाक्षरी- जैनेन्द्र प्रसाद रवि

टूटे रिश्ते जिंदगी गुजर जाती, यहां रिश्ते बनाने में, गाँठ पड़ जाते यदि, टूटे-रिश्ते जुड़ते। खूब मजबूत रखें , संबंधों की बुनियाद, बालू की दीवार बने, घर नहीं टिकते। प्रेम…

मुस्कान- अश्मजा प्रियदर्शिनी

निराश ह्रदय कुंठित काया को हर्षित करे खिल जाता जीवन बगिया अनूप । मिल जाती खुशियाँ अपार न होता विषम वेदना,कष्ट,विपदा कुरुप । कभी चाँद की चाँदनी की शीतलता ,कभी…