सजल सुमेरु छंद मात्रा — 19 यति — 12,7 समांत — ऊल पदांत — से हम 1222 122 , 2 122 चलो सबको सजा दें , फूल से हम ।…
दिल्ली पर नज़र – जैनेन्द्र प्रसाद रवि
चुनाव से हर बार तय होती जीत हार, किसी की आसान नहीं, सत्ता की डगर है। बयानों का ले के ओट मांगते हैं सभी वोट, भाषणों का नहीं होता, लोगों…
जलहरण घनाक्षरी छंद – जैनेन्द्र प्रसाद “रवि’
प्रभाती पुष्प जलहरण घनाक्षरी छंद हमेशा मगन रहें ईष्ट का भजन करें, वृथा नहीं नष्ट करें, समय को पल भर। कदम बढ़ाएं सदा फूंक-फूंक कर हम, जीवन में पड़ता है,…
प्रेम उपहार – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
प्रेम उपहार बाल भावना को स्पर्श करती रचना (मनहरण घनाक्षरी छंद में) नाजुक- कोमल कली, बागानों में जैसे माली, करे खूब देखभाल,बच्चे होते फूल से। कभी नहीं करें रोस, यदि…
जलहरण घनाक्षरी- एस.के.पूनम
🙏ऊँ कृष्णाय नमः🙏 विधा:-जलहरण घनाक्षरी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, करें शुभ कार्य सदा, सनातन परंपरा,है सदियों से अचल। नूतन विचार आए, खुशियाँ बटोर लाए, विधिवत पूजा करें,रहे भाव अविचल। धर्म से…
दोहा (मां)- मनु रमण चेतना
मां की छवि को देखकर,आए जिय में जान। उनसे बढ़कर कुछ नहीं, वह होती भगवान।। मनसा अन्तर सेवतीं, वचसा कर फटकार। मृदु वचनामृत बोलकर, देतीं स्नेह अपार।। मां है धरती…
मनहरण घनाक्षरी- एस.के.पूनम
मनहरण घनाक्षरी तप गई आज धरा, धूल संग चली हवा बढ़ गई गर्मी धूप,घर में छुप जाए। प्रातःकाल उठ कर, नित्य दिन सैर कर, सुबह में पेट भर,फल-फूल ही खाए।…
सुरक्षित रहे प्राण- एस.के.पूनम।
विधा:-रूपघनाक्षरी (सुरक्षित रहे प्राण) तरु की पत्तियां झड़ी, मंजरी भी गिर पड़ी, पतझड़ के मौसम का यही है पहचान। चल रही गर्म हवा, पिघलने लगे रवा, आनन झुलस गये,अत्यधिक तापमान।…
आओ मतदान करें- कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”
देश की आजादी को अगर अक्षुण्ण बनाए रखना है। तो सोच-समझ व जाँच-परखकर नेता को हमें चुनना है।। अपनी पिछली पीढियों के त्यागों का मान यदि रखना है। तो उठो…
मौसम का कहर- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
गर्म ये हवाएं चली,वदन में आग लगी, अप्रैल के आरंभ में, खिल रही कड़ी धूप। अभी केवल झांकी है, मई आना तो बाकी है, धरती को लील रही,धर के प्रचंड…