कर दे निहाल माता, मेरे सपनों को जगा दे। जैसी हो तेरी मर्जी, माँ अपनी शरण लगा ले। करता हूँ तेरा वंदन, तेरा स्नेह चाहता हूँ। अब तक तुझसे जो मिला है, उसमें कुछ और तू बढ़ा…
वासंती महक- सुरेश कुमार गौरव
पीली-पीली सरसों की बगिया, लहराए खेतों में नव अभिलाषा। पतझड़ की उदासी को छोड़कर, लाया वसंत हर्ष की परिभाषा। प्रकृति ने ओढ़ी हरियाली चूनर, फूलों में घुली नव मधुर मुस्कान।…
नवजीवन संचार- अपराजिता कुमारी
शीत शरद की हो रही विदाई धरती मानो ले रही अंगड़ाई ऋतुराज की हो रही अगुवाई प्रकृति बसंती रंग में रँगाई। गुनगुनी धूप, स्नेहिल हवा सुंदर दृश्य, सुगंधित पुष्प मंद-मंद…
वेदमाता भवानी – कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’
करूँगी सदा वंदना मैं तुम्हारी, भवानी सुनो प्रार्थना है हमारी। बना दो विवेकी हरो अंधियारा, पुत्री हूँ तुम्हारी बनो माँ सहारा। मिटा दो भवानी अज्ञता हमारी, करूँगी सदा वंदना मैं…
वीणा की झंकार – रत्ना प्रिया
प्रकृति के मनोहर आँगन में, वसंत की बहार है, वागेश्वरी के वीणा की, गूँजती झंकार है। श्वेत पद्म व श्वेत वस्त्र हैं, श्वेत वाहन धारती, नीर-क्षीर-विवेक प्राप्त जो सदभक्तों को…
पढ़ने को स्कूल चलें हम- अमरनाथ त्रिवेदी
नित पढ़ने को स्कूल चलें हम, किसी बात पर नहीं लड़ें हम। जीवन में खुशियाँ भरने को, नित बस्ता लें स्कूल बढ़ें हम। हम नहीं करें कभी आना कानी, नहीं चलेगी अब…
सरस्वती वंदना- रूचिका
हे वीणावादिनी! देवी सरस्वती, हमें कष्टों से उबार दें। मूढ़मति हम संतान तुम्हारे, हमें ज्ञान का उपहार दे। अज्ञानता का अंधकार छाया, राह हमको समझ न आया हे वीणापाणि शारदे…
मनहरण घनाक्षरी- रामकिशोर पाठक
वीणा रखती हाथ में, सुर संगीत साथ में, जीवन में आनंद हो, भाव रस पीजिए। मॉं तेरी हंस सवारी, लगती कितनी न्यारी, धवल हो मन मेरा, शंका हर लीजिए। कर…
सरस्वती वंदना – सुरेश कुमार गौरव
वीणा वादिनी, ज्ञान की देवी, माँ शारदे, करूँ मैं अर्पण। बुद्धि, विवेक, नीति की ज्योति,तेरे चरणों में समर्पण॥ बालक बनें सुमति के धानी, माँ, दो शुभ संकल्प विचार। सत्य, धर्म,…
मनहरण घनाक्षरी- रामकिशोर पाठक
अंडाकार पथ पर, ग्रह लगाते चक्कर, सूर्य रहता केन्द्र में, परिक्रमा मानिए। सूर्य की पृथ्वी चंद्रमा, करे सदा परिक्रमा, तीनों सरल रेखा में, ग्रहण बखानिए। बीच में जो पृथ्वी आए,…