इन्द्रधनुष- रामकिशोर पाठक

छम छम करती वर्षा रानी, मूसलाधार गिराए पानी। बैठ गयी अब वो थककर, सूरज दादा आएँ निकलकर। संग में झोला भरकर लाएँ, रंग बिरंगे फल दिखलाएँ, सबके सब है सेहतमंद,…

प्रभु तेरा ठिकाना कहाँ- संजय कुमार

प्रभु मैं परेशान,थके हाल हूँ क्योंकि तेरी दिल से आराधना करता हूँ पर तुझे कहाँ ढूढूँ ये तो बता अपनी जिज्ञासा बुझाने मैं तो परेशान हूँ। तेरे बड़े बड़े भक्तों…

दोहावली- देवकांत मिश्र ‘दिव्य’

गौरव का यह है दिवस, भारत का गणतंत्र। समरसता का भाव ही, दिव्य मूल है मंत्र।। भारत प्यारा देश है, लिखित विधान विशाल। चलें नियम कानून से, होगा ऊँचा भाल।।…

दोहावली- मनु कुमारी

अमर रहे गणतंत्र यों, जैसे सूरज चान। जन-जन का सम्मान ये, सबका है अभिमान।। संविधान से है मिला, जीने का आधार। बाबा साहब ने दिया,अनुपम-सा उपहार।। हिंदू मुस्लिम सिख सभी,…

आजादी के दीवाने – रत्ना प्रिया

आजादी के दीवाने वे, गोली खाई, जेल गए, फाँसी के फंदे को चूमा, हर संकट को झेल गए। भारती के लाल जिन्होंने, अपना जीवनदान दिया, जीवन की स्वर्णिम आयु को,भारत-भू…

मधुमय देश बनाना है – डॉ स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या”

सुरभित सुंदर संस्कार का अद्भुत देश हमारा है, भगत सिंह, गाँधी सुभाष संग हमने भी दिल हारा है। तरुणाई के प्रखर शौर्य को जनहित में रचने के लिए, इस अवनी…

दोहावली- रामकिशोर पाठक

निर्णायक जन-जन जहॉं, सफल वहीं गणतंत्र। समता जिसके मूल में, भागीदारी मंत्र।। छब्बीस जनवरी शुभद, दिवस हुआ गणतंत्र। संविधान लागू हुआ, जिससे चलता तंत्र।। आज चतुर्दिक दिख रहा, लूट-पाट षड्यंत्र।…