अनमोल रिश्ता भाई-बहन का-राजेश कुमार सिंह

अनमोल रिशता भाई-बहन का

रिश्ता अनमोल है भाई-बहन का।
जैसे सुभद्रा और किशन का;
जैसे धरती और गगन का।।
रिश्ता अनमोल है भाई-बहन का।
पुष्प है भाई; सुगंध बहन है।
उजाला है भाई; बहन नयन है।।
जैसे कलाई और कंगन का।
रिश्ता अनमोल है भाई-बहन का।।
भाई है भोर; बहन निशा है।
रिश्ता नहीं कोई , इसके जैसा है।।
जैसे पंक के संग कमल का।
रिश्ता अनमोल है भाई-बहन का।।
इस प्यार में कोई स्वार्थ नहीं है।
लम्हा है भाई; बहन सदी है।।
केवट और मर्यादापुरुषोत्तम का।
रिश्ता अनमोल है भाई-बहन का।।
भाई-बहन बिन परिवार है सूना।
नोंक-झोंक से महकता कोना-कोना।।
संगमरमर हैं यही भवन का।
रिश्ता अनमोल है भाई-बहन का।।
पुष्पा-राजेश, अजित-रेखा;
पूजा -मुकेश, रितेश -रूपा।
भाई अटल हिमालय है ;
और बहना भी हैं शक्ति स्वरूपा।।
जोड़ा नहीं “दो” अनमोल रतन का।
रिश्ता अनमोल है भाई-बहन का।।
जैसे सुभद्रा और किशन का।
जैसे धरती और गगन का।।
रिश्ता अनमोल है भाई-बहन का।

राजेश कुमार सिंह
प्रखंड शिक्षक
उत्क्रमित मध्य विद्यालय बलथारा
मोहिउद्दीननगर
समस्तीपुर(बिहार)

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