आशा और भरोसा
सुरेश कुमार गौरव
अंधियारे में दीप जले, यही है आशा की बात,
तूफानों में नाव चले, यही है भरोसे की सौगात।
जब मन थककर रुक जाए, राह लगे सुनसान,
आशा बन सूरज उगे, भर दे एक नया अरमान।
भरोसा कहता,“चल आगे, कठिन डगर भी प्यारी,
पग-पग पर मिल जाएगी, सफलता की क्यारी।”
आशा पंछी-सी उड़ती, गगन के पार बुलाए,
भरोसा जड़-सा जमकर, आँधियों से टकराए।
जीवन की हर ठोकर में, इनका संग सहारा,
आशा दे सपनों का रंग, भरोसा दे किनारा।
आशा-भरोसे संग चले, जीत सदा मुस्काए,
हर तूफान के पार से, सूरज फिर उग आए।
सुरेश कुमार गौरव, प्रधानाध्यापक, उत्क्रमित मध्य विद्यालय रसलपुर, अंचल-फतुहा जिला-पटना (बिहार)
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