संपूर्ण ज्ञान अश्मजा प्रियदर्शनी

संपूर्ण ज्ञान प्रदाता पुस्तक है सरस्वती समान।
यह सर्वश्रेष्ठ पर प्रदर्शक विज्ञता जीवन में प्रधान।
शास्वत जग ब्रह्मांड का विवरण देता है,
कालचक्र की समस्त घटना का मान्य करता बखान।
पुस्तक में है दिव्य जोत जैसे ब्रह्मा, विष्णु महेश।
नीतिशास्त्र का संग्रह और इतिहास के अवशेष।
वेद-पुराण, विविध धर्म ग्रंथों का ये खजाना है,
समग्र घटना का संकलन,हर क्षेत्र में है विशेष।
पुस्तक में होते अनेक अनुपम प्रकरण विषयक चित्र।
ये हमारे सच्चे, श्रेष्ठ मार्गदर्शक और उत्तम मित्र।
चरित्र निर्माण, युग संचालन का ये परिचायक है,
धर्मशास्त्रों में इसकी महिमा अद्भुत एवं अत्यंत पवित्र।
पुस्तक वर्णित होता है समस्त ज्ञान का आख्यान।
जानकारी पाकर सूचना का होता व्याख्यान।
तन्त्र -मंत्र की शक्ति, देशभक्ति का होता आह्वान है,
श्रद्धा सूचक हैं वेद, गीता, त्रिपिटक और पुराण।
पुस्तक के साथ का अध्यापन नित दिन करता प्राणी।
इसकी महिमा निराली,लय में संतों की वाणी।
अधुरा ज्ञान अर्जित कर मूढ़़ पापी बन जाता है।
धार्मिक ग्रंथों में वर्णित, यज्ञोपवीत, विवाह अनुष्ठान।
ज्ञान के सागरों में दीपशिखा बनते प्रतिष्ठान।
मंत्र, दोहा, चौपाई छंदों,कथा का सार है,
वाल्मीकि ने रामायण लिखी, लव-कुश ने किया गान
गीता वेद पुराण के मर्म से जग को आशा है।
पुस्तक है अप्रतिम,व्यापक इसकी परिभाषा है।
विविध पुस्तक में समाहित, ज्ञान का अनुपम भंडार,
हिन्दी साहित्य गौरवान्वित हो, यही अभिलाषा है।

           रचनाकार,
                 अश्मजा प्रियदर्शिनी 
                 हेड टीचर 
                 प्राथमिक विद्यालय 
                 धमौल,धनरुआ
                 पटना,बिहार
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