मनहरण घनाक्षरी सूर्य, चंद्र ग्रह सारे, चलें श्रम के सहारे, यदि श्रम को बिसारे, कष्ट भरमार है। सृष्टि का आधार यह, कर्ता कृत प्यार सह, श्रमिक सम्मान गह, चलता संसार…
Author: Anupama Priyadarshini
श्रमोत्सव- डॉ स्नेहलता द्विवेदी आर्या
विश्व के धड़कन को तुम भी देख लो, झाँक कर हृदय पटल में कर नमन, श्रम की शक्ति को चलो सजदा करो। पैर में छाले लिये वह हाथ को है…
धरती का मान बढ़ाएंगे – देव कांत मिश्र ‘दिव्य
धरती का मान बढ़ाएंगे – विधा: गीत(१६-१६) जन्म लिए हैं दिव्य भूमि पर धरती का मान बढ़ाएँगे। रंग-बिरंगे फूल खिलाकर, बागों को खूब सजाएँगे।। धरा हमारी मातृ तुल्य हैं, सच्ची…
अग्निशमन – मनु कुमारी
आओ बच्चों तुम्हें बतायें , अग्निशमन क्या होता है ? अग्नि से बचाव का यह एक , उत्तम माध्यम होता है।। अग्नि दुर्घटना से नुकसान ! अग्नि बचाव का चलाएं…
दुश्मन की गद्दारी – रत्ना प्रिया
मुख में राम बगल में छुरी, लानत ऐसी यारी को । अब भारतीय नहीं सहेंगे, दुश्मन की गद्दारी को ।। मानवता से मेल नहीं है, शत्रु के क्रूर विचार में।…
सबको गले लगाएँ हम – राम किशोर पाठक
विधा: गीतिका भटके को राह दिखाएँ हम, सबको गले लगाएँ हम। कलुष भाव के घोर तिमिर में, प्रेम-पुंज फैलाएँ हम।। दुष्कर्मों का गंध भरा है, कर्म-पुष्प विकसाएँ हम। जो मानवता…
छंद चौपई – देवकांत मिश्र ‘दिव्य’
रीढ़ देश की हैं मजदूर। नेह सुधा सुख दें भरपूर।। नित्य बहाते श्रम का स्वेद। मन में कभी न रखते भेद।। चाहे पथ हो या खलिहान। रखते हैं वे श्रम…
सनातन धर्म – गिरीन्द्र मोहन झा
धर्म जिसे कहते हैं। वह सनातन, शाश्वत, परित: है। धर्म वह है, जिससे हो, सबका सर्वांगीण विकास। सद्गुणों को धारण करे, फैले उच्च आदर्श का उजास। सनातन धर्म सहिष्णुता, प्रेम,…
सुनो-सुनो मजदूर हूँ मैं – मनु कुमारी
सिर पर भारी बोझ उठाएँ। दर्द सहें पर न घबराएँ। दो जून की रोटी पर हीं , मन में रखता सबूर हूँ मैं। सुनो-सुनो मजदूर हूँ मैं।। संघर्ष की आग…
परशुराम जयंती- राम किशोर पाठक
दोहा छंद चार सनातन युग शुभद, करते ग्रंथ बखान। कालखंड सबके अलग, करे सभी गुणगान।।०१।। सतयुग का प्रस्थान था, त्रेतायुग तैयार। महिप सभी निरंकुश थे, करते अत्याचार।।०२।। शुक्ल पक्ष बैशाख…