विश्व श्रमिक दिवस – राम किशोर पाठक

मनहरण घनाक्षरी सूर्य, चंद्र ग्रह सारे, चलें श्रम के सहारे, यदि श्रम को बिसारे, कष्ट भरमार है। सृष्टि का आधार यह, कर्ता कृत प्यार सह, श्रमिक सम्मान गह, चलता संसार…

धरती का मान बढ़ाएंगे – देव कांत मिश्र ‘दिव्य

धरती का मान बढ़ाएंगे – विधा: गीत(१६-१६) जन्म लिए हैं दिव्य भूमि पर धरती का मान बढ़ाएँगे। रंग-बिरंगे फूल खिलाकर, बागों को खूब सजाएँगे।। धरा हमारी मातृ तुल्य हैं, सच्ची…

अग्निशमन – मनु कुमारी

आओ बच्चों तुम्हें बतायें , अग्निशमन क्या होता है ? अग्नि से बचाव का यह एक , उत्तम माध्यम होता है।। अग्नि दुर्घटना से नुकसान ! अग्नि बचाव का चलाएं…

सबको गले लगाएँ हम – राम किशोर पाठक

विधा: गीतिका भटके को राह दिखाएँ हम, सबको गले लगाएँ हम। कलुष भाव के घोर तिमिर में, प्रेम-पुंज फैलाएँ हम।। दुष्कर्मों का गंध भरा है, कर्म-पुष्प विकसाएँ हम। जो मानवता…

सनातन धर्म – गिरीन्द्र मोहन झा

धर्म जिसे कहते हैं। वह सनातन, शाश्वत, परित: है। धर्म वह है, जिससे हो, सबका सर्वांगीण विकास। सद्गुणों को धारण करे, फैले उच्च आदर्श का उजास। सनातन धर्म सहिष्णुता, प्रेम,…

परशुराम जयंती- राम किशोर पाठक

दोहा छंद चार सनातन युग शुभद, करते ग्रंथ बखान। कालखंड सबके अलग, करे सभी गुणगान।।०१।। सतयुग का प्रस्थान था, त्रेतायुग तैयार। महिप सभी निरंकुश थे, करते अत्याचार।।०२।। शुक्ल पक्ष बैशाख…