अदृश्य सत्ता- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

मनहरण घनाक्षरी छंद अखिल ब्रह्मांड बीच, कोई तो है सार्वभौम, जिसके इशारे बिना, पत्ता नहीं हिलता। धरती खनिज देती, सीप बीच मिले मोती, कोमल सुन्दर फूल, काँटों बीच खिलता। चैन…

योग बिना जीवन बेकार – शशिकान्त वर्मा

युग-युग की यही पुकार, योग बिना जीवन बेकार। जो नहीं योग करता, दिन-प्रतिदिन रोग गढ़ता। मोटापा, बीपी, शुगर, इससे वह नही बचता।। समय मिले न घड़ी चार, नित करे दस…

करिये निशदिन योग – मनु कुमारी

प्रेम देह से है अगर,करिये निशदिन योग। काया होगी स्वस्थ तब, और हटेंगे रोग। योगीजन से सीखकर, कीजै प्राणायाम।। ध्यान योग के चरम पर,मिल जायेंगे राम।। नैन नजर के योग…

योगासन का महत्व – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

श्री कृष्ण से ज्ञान पा के, ऋषियों ने अपनाया, असाध्य रोगों का स्थाई, उपचार योग है। जिसने भी अपनाया, पाया है निरोगी काया, शरीर को योगासन, रखता निरोग है। जीवन…

योग – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

देह का मन से मिलन करिए। प्रभु से नाता मन से जोड़ें। धैर्य नियम को प्रतिदिन धरिए ध्यान आसन की छाप छोड़ें।। योग जीवन सुंदर आयाम कर्म-कुशलता करते रहिए। गात…