जैसी होती भावना- जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’

जैसी होती भावना मनहरण घनाक्षरी छंद मानने से पत्थर में- मिलते हैं भगवान, दूध में मक्खन सिर्फ, देखे मेरी भावना। दिल की पुकार से तो- मन की मुरादें मिलें, श्रद्धा…

हिंदी मेरी भाषा

“हिंदी मेरी भाषा ”   हिंदी मेरी भाषा है, हिन्दी मेरी आशा है। हिंदी का उत्थान करना, यही मेरी जिज्ञासा है। हिंदी की बोली अनमोल, एक शब्द के की विलोम।…

अँखियाँ भिगोने से- जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’

मनहरण घनाक्षरी छंद कड़ी धूप खिलने से- परेशानी बढ़ जाती, मौसम बदल जाता, बरसात होने से। मजदूर किसानों की- मेहनत रंग लाती, फसलें उपजतीं खेतों में बीज बोने से। सुबह…

शिक्षा

शिक्षा जीक्न मूल है, मानव धर्म सामान. शिक्षा बिन सब सुन है, वाहन सुघर सुनाम.. पाहन मे ज्यो प्राण है, मुरत में भगवान. शिक्षा जिन मन में बसे, समझो सूजन…

शिक्षक और गणित

शिक्षक और गणित आज अचानक से याद आए वो पुराने पल, जिसमें मनाते थे कि गणित के शिक्षक न आए कल। न कोई कॉपी चेक, न कोई सवाल, गणित की…

हम शिक्षक हैं

हम शिक्षक हैं समय पर विद्यालय जाते बच्चों को मन से पढ़ाते अच्छी अच्छी बात बताते समाज में रहना सिखलाते हम शिक्षक हैं। श से बच्चों को शिष्ट बनाते क्ष…

शिक्षक कहलाए- मधु कुमारी

शिक्षक कहलाए….. बातें ज्ञान की जो सिखलाए देखो बच्चों वो शिक्षक कहलाए…… प्रथम गुरु है माता महान सदा करो इनका सम्मान कदम-कदम चलना सिखलाए जीवन की सच्ची राह दिखलाए……. शिक्षा…