एकता और अखंडता के रंग से सजा हो, प्रेम और भाईचारे के रंग से यह रंगा हो, धर्म और जाति का कोई भेदभाव न हो, आजादी का रंग इंसानियत से…
Author: Anupama Priyadarshini
हमारे मुंशी प्रेमचंद – मनु रमण चेतना
हमारे मुंशी प्रेमचंद (जयंती विशेष) साहित्यिक आकाश में,उगा एक दिव्य चंद्र , और कोई नहीं वो , हमारे मुंशी प्रेमचंद! आनंदी का लाल वो,अजायब का भाल वो, रचना जिनकी स्वच्छंद,…
सोए को जगाइए – एस.के.पूनम
कलम के सौदागर, प्रमाण लेकर आज, जगत के सम्मुख खड़े,होकर दिखाइए। पन्ना-पन्ना भर गया, गहन चिंतन शोध, तिमिर को भेद कर,सोए को जगाइए। क्रांति की लालसा लिए, डूबे रहे विचारों…
रूपघनाक्षरी – एस.के.पूनम
संग्राम क्यों होते रहे, संघर्ष है विचारों की, अहंभाव समाहित,मन करे परेशान। केवल मानव नहीं, प्रकृति के कण-कण, द्वंदवाद से ग्रसित,यह देख हूँ हैरान। स्वर्ण युग की लालसा, लुप्त हुआ…
तपती-जलती वसुंधरा – मास्टर गौतम भारती
कई दिनों से उमस बड़ी है, तपती-जलती वसुंधरा । कहाँ खो गए नभ में बादल? कर दया आ बरस जरा, कर दया आ बरस जरा ।। झुलसी हुई हरियाली देखो,…
मंजूषा कला – रत्ना प्रिया
मंजूषा कला लोक कथा, लोक संस्कृति, जीवन का आधार है , मंजूषा कला ,अंगप्रदेश का, अनुपम उपहार है | कला जीवन की थाती है, स्नेहघृत की बाती है, प्रतिपल आकर्षित…
मंजूषा के शिल्पकार – रत्ना प्रिया
मंजूषा के शिल्पकार मंजूषा की कलाकृति को, अंतर्मन में धारा है, अपनी कला, संस्कृति बचाओ, शिल्पकार का नारा है| निर्मला व नारायण के, अद्भुत पुत्र सलोने हैं, मंजूषा के मिथक…
धान की बुआई – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
मिलके लुगाई संग धान की बुवाई करें, फसल उगाने हेतु किसान लगाता जोर। हल उठा काँधे पर खेतों की जुताई हेतु, चल देता बैलों संग देखो जब होता भोर। रात…
बाल कविता – एस.के.पूनम
बाल मन कहाँ रुके, कहीं नहीं वह झुके, खेल खेले मस्त-मस्त,होए न पस्त कभी। नदी तीर रोज जाते, बालू से घरौंदा बने, महल हो सपनों का,नहीं सोचते अभी। सुबह को…
कुंडलिया – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
आया सावन झूमकर, हर्षित हुए किसान। हरी-भरी यह भूमि हो, यही हमारी आन।। यही हमारी आन, सदा गुण ऊर्जा भरिए। रिमझिम सौम्य फुहार, प्रीति-सा जीवन करिए।। मधुरिम भावन गीत, मुदित…