नहीं खानी है रोटी-सब्जी मम्मी पीजा ला दो न मारे गर्मी बदन जल रहा पेप्सी भी मंगवा लो न ।। अच्छा आर्डर बर्गर कर दो या फिर कर दो मोमोज…
Author: Anupama Priyadarshini
मनहरण घनाक्षरी- एस.के.पूनम
🙏कृष्णाय नमः🙏 विद्या:-मनहरण घनाक्षरी 🌹कविता सुनाइके🌹 काव्य पथ पर चला, शब्द जोड़-जोड़ कर, प्रेम गीता लिख दिया,शब्दों को सजाइके। विचारों में डूब कर, तूलिका पकड़ कर, थमा नहीं रुका नहीं,भावों…
चल मुनिया-मीरा सिंह “मीरा”
तुझमें हिम्मत बल मुनिया। चल आगे बढ़ चल मुनिया। देखेगी दुनिया सारी तुझमें कितना बल मुनिया।। अवरोधों से मत घबरा तूफानों से लड़ मुनिया। दीपक बनकर तू जलना रोशन होगा…
चमकी को धमकी- विवेक कुमार
गर्मी की जब आहट आती, चमकी की धमकी याद आती, बड़ी तेजी से पैर फैलाती, बच्चों की काल बन जाती, अभिभावक को खूब हड़काती, अपनी चाल चल ही जाती, अपना…
जय होगी- मनोज कुमार दुबे
आज नही तो कल तुम्हारी ही जय होगी भाग्य नही केवल मेहनत से ही तय होगी अंधकार का नाश प्रकाश केवल कर सकता है मनुष्य वह साधक साध्य सभी कर…
कबाड़ से जुगाड़- विवेक कुमार
बच्चों की आस हूं, रहता उनके पास हूं, सीखने सिखाने में उस्ताद हूं, हर पल देता उनको दाद हूं, देश के भविष्य है हमारे बच्चे, प्रतिभा निखारने में हम है…
कृमि का दवा खाएँ- नीतू रानी
चलो बच्चो चलो कृमि की दवा खाएँ, कृमि दवा खाकर कृमि दिवस मनाएँ। सुनो बच्चो सुनो कैसे हम दवा खाएँ, खाना खाने के बाद हीं हम इसे खाएँ। खाने से…
रूप घनाक्षरी छंद- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
गुरू को समर्पित बागानों में फल-फूल, खेतों बीच कंद-मूल, सुमन को बसंत में, ‘रवि’ महकाता कौन! सूरज कहां से आता ,रोज रात कहाँ जाता, ऊँचा नीला आसमान, तारे चमकाता कौन?…
नारी- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
समाज की बलि नित्य बनती है औरत, क्या समाप्त हो गई हमें इसकी जरूरत? श्रद्धा से प्रेरणा पा मनु को आई जागृति, नारी समाज के दामन से जुड़ी भारत की…
पावन होली आई है- देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
विधा: गीत(१६-१४) आओ स्नेहिल रंग उड़ाओ, पावन होली आई है। बच्चे बूढ़े नर- नारी पर, कैसी मस्ती छाई है।। सुंदर है बच्चों की टोली, सबके कर पिचकारी है। गली- गली…