मनहरण घनाक्षरी- एस.के.पूनम

🙏कृष्णाय नमः🙏 विद्या:-मनहरण घनाक्षरी 🌹कविता सुनाइके🌹 काव्य पथ पर चला, शब्द जोड़-जोड़ कर, प्रेम गीता लिख दिया,शब्दों को सजाइके। विचारों में डूब कर, तूलिका पकड़ कर, थमा नहीं रुका नहीं,भावों…

चल मुनिया-मीरा सिंह “मीरा”

तुझमें हिम्मत बल मुनिया। चल आगे बढ़ चल मुनिया। देखेगी दुनिया सारी तुझमें कितना बल मुनिया।। अवरोधों से मत घबरा तूफानों से लड़ मुनिया। दीपक बनकर तू जलना रोशन होगा…

रूप घनाक्षरी छंद- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

गुरू को समर्पित बागानों में फल-फूल, खेतों बीच कंद-मूल, सुमन को बसंत में, ‘रवि’ महकाता कौन! सूरज कहां से आता ,रोज रात कहाँ जाता, ऊँचा नीला आसमान, तारे चमकाता कौन?…

पावन होली आई है- देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

विधा: गीत(१६-१४) आओ स्नेहिल रंग उड़ाओ, पावन होली आई है। बच्चे बूढ़े नर- नारी पर, कैसी मस्ती छाई है।। सुंदर है बच्चों की टोली, सबके कर पिचकारी है। गली- गली…