(1)-छै येहा धारना दूनिया के, बेटी पराई होते छै। पर बिना बेटियौ के जग में, तकदीर सब के सुतले छै। (2)-जब बेटी हीं नय होतै त, बेटा फेर कहाँ सेय…
Author: Anupama Priyadarshini
पाषाण की व्यथा – मो.मंजूर आलम
रोक कर चौराहे पर बोला एक दिन मुझसे क्या तुम देख सकते हो? लथपथ हूं खून से मैं! छलनी है मेरा बदन रो और तड़प रहा हूं सिसक रहा हूं…
एकावली – सुधीर कुमार
मात्रा — १० यति — ५,५ अंत — दीर्घ २१२ , २१२ मौत से , जो डरे । आज ही , वो मरे ।। छोड़ दे , डर सभी ।…
बचपन -भवानंद सिंह
बच्चे होते हैं नादान रहती चेहरे पर मुस्कान, तुरंत लड़ाई तुरंत ही मेल बचपन का यही है खेल । बच्चे के मन होते चंचल चंचलता इसकी पहचान, बन नटखट वो…
मनहरण घनाक्षरी – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
रवि छिप जाता जब, चांद आसमान तब, सरोवर पड़ा जल झिलमिल करता। वर्षा ऋतु जाने पर, शरद के आने पर, कितना जतन करें नदी नहीं भरता। समय के आने पर,…
किस्मत- जय कृष्ण पासवान
किस्मत बंधे हुए फरिश्तों का लकीर है । और चमकते हुए सितारों का तनवीर है वो। किस्मत हर ख्वाबों के टहनियों का तक़दीर है । और जिंदगी के कठिन राहों…
बेटियां- नवाब मंजूर
बेटियां होतीं हैं किताब पन्ने दर पन्ने पढ़ने पड़ते हैं समझने के लिए उन्हें! पढ़ेंगे जितना उतना ही समझेंगे समझ कर ही तो कहेंगे वाह वाह… न पढ़ता तो कैसे…
बाल- विवाह- पामिता कुमारी
कथी ला कैलहो बियाह हमर पक्का उमरिया नय होल छै बियाह के हो पप्पा, उमरिया नय होल छै बियाह के हो पप्पा।। ससुरा में हमरा से चूल्हा फुकबैतै, छोट-छोट बतिया…
चन्द्र ग्रहण- नवाब मंजूर
एक नेत्र धोखा है सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी जब आती है तब होता है! किसी गलतफहमी में न पड़ना अंधविश्वास में नहीं जकड़ना ज़िन्दगी जीने को शिक्षा की…
मन की चाह -एस.के.पूनम
मुक्त रहूँ निशा के स्याह चादर से, बहते शीतल पवन के झोंकों में, भोर भए अंगडाई लूँ नूतन वेला में, प्रकृति की सौंदर्य समाहित हो मुझमें। बंद चक्षुओं को खोलता…