बेटियां- नवाब मंजूर

बेटियां होतीं हैं किताब पन्ने दर पन्ने पढ़ने पड़ते हैं समझने के लिए उन्हें! पढ़ेंगे जितना उतना ही समझेंगे समझ कर ही तो कहेंगे वाह वाह… न पढ़ता तो कैसे…

बाल- विवाह- पामिता कुमारी

कथी ला कैलहो बियाह हमर पक्का उमरिया नय होल छै बियाह के हो पप्पा, उमरिया नय होल छै बियाह के हो पप्पा।। ससुरा में हमरा से चूल्हा फुकबैतै, छोट-छोट बतिया…

मन की चाह -एस.के.पूनम

मुक्त रहूँ निशा के स्याह चादर से, बहते शीतल पवन के झोंकों में, भोर भए अंगडाई लूँ नूतन वेला में, प्रकृति की सौंदर्य समाहित हो मुझमें। बंद चक्षुओं को खोलता…