हे आचार्य तुम ही पार्थ हो” हे पार्थ!तेरा कर्मभूमि विद्यालय है, हे आचार्य!रणभूमि भी शिक्षालय है, लेखनी और किताबें तेरा अस्त्रशस्त्र है, तो फिर तुम्हें किस बात का भय है।…
Author: Anupama Priyadarshini
सुखाड़ -जय कृष्णा पासवान
गगन मस्तक पर ना ओश की बूंदे। ” घटा की गर्जना ना करे पुकार ” मेंढक झुंझुर सब बिछुप्त पड़ गये ,सावन बन गए जेठ आषाढ़।। अब की महंगाई बना…
प्रभाती पुष्प- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
मनहरण घनाक्षरी ****** लाखों मनुहार करें, कितना भी प्यार करें, पिंजरे में बंद पक्षी खुश नहीं दिखता । समय प्रभात रहे, दिन याकि रात रहे, हमें जाग जाने पर चोर…
मैं पथ का निर्भिक राही- कंचन प्रभा
पथ के राही चले बेफिक्र मंजिले दूर हो रास्ते कठिन हो पथरीली डगर हो काँटे बिछे हो चलना है बस चलते जाना रुकना नहीं है मेरा काम मै हूँ पथ…
डूबते को सहारा- विनय विश्वा
डूबते को सहारा ये सिखाती है पानी की धारा कभी पतवार बन कभी सवार बन। उगते को सब सलाम करते हैं आज डूबते को भी पूजा गया इस आशा के…
लोकआस्था- रूचिका
लोकआस्था और भक्ति भाव लेकर ह्रदय में, विश्वास और समर्पण लेकर हर मन में, ऊँच नीच,अमीर गरीब का भेद भुलाकर, जाति-पाँति को छोड़ सब संग चल पड़े साधना का अर्घ्य…
आस्था का पर्व छठ- अशोक कुमार
बिहार से उद्भव होकर, पूरे राष्ट्र में मनाया गया, आस्था का पर्व छठ है, राष्ट्र ही नहीं पूरे विश्व में छा गया|| घाटो की होती सफाई, इसमें है सबसे अच्छाई|…
सूर्य उपासना- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
युगों से इंतजार था, जिसे सारी दुनिया को, बिहार ने दिया छठ- पर्व की सौगात है। दिन रात निराहार- रह अरदास करें, व्रतियों को वर देते- रवि अवदात हैं। आपसी…
शुभ दीपावली- अदिती भूषण
धन धान्य हो अब के बरस हो जीवन में लक्ष्मी की बौछार, आया शुभ दीपावली त्योहार खुशियों से भरा हो घर संसार. है धनवंतरि को नमन हमारा अपनाए सब स्वस्थ…
लेखन मेरे लिये वरदान- कंचन प्रभा
मैं अभिशाप थी इस धरती पर जैसे कोई शाप थी इस धरती पर, भीड़ भरी दुनिया में मैं गुमनाम बन गई थी । आज लेखन मेरे लिए वरदान बन गई…