रोज निवारण पर्व- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

छंद :- मनहरण घनाक्षरी ****** चार दिवसीय पर्व, ख़ुशी ख़ुशी बीत गया, आज पावन पर्व का, हो गया पारण है। जाति-धर्म, ऊंच-नीच,भेद भाव छोड़ने का, मन में संकल्प हम, करते…

सरदार किसान- विनय विश्वा

किसान हमारे भगवान जो रिरियाये गाए एक कंठ आवाज लगाए बहरी सत्ता ना सुन पाए। खाए उनकी दाल-रोटी उनके सपनों को करके बोटी-बोटी। एक “सरदार” की आन पड़ी है उस…

माँ की ममता- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

अपनी ममता की छाँव देकर तुमको गले लगाऊँ मैं। तुम हो मेरे कृष्ण-कन्हैया तुमको पाकर इठलाऊँ मैं।। रौशन तुमसे चाँद सितारे तुम मेरे आँखों के तारे, मेरी आँखों की नींद…

सृष्टि के सृजनहार- मीरा सिंह “मीरा”

जीव जगत के आधार हे सृष्टि के सृजनहार व्यक्त करें कैसे मनुज आदित्य तेरा आभार हे देवों के देव दिवाकर सबसे बड़े जादूगर आते रहे युगों से नित नई सुबह…

नारी शक्ति -जयकृष्ण पासवान

चंडी की अवतार तू अबला, जग है तेरे रखवाले। रुप धारण की आन पड़ी है, अब तेरे किस्मत उजियारे।। “धधक रहा ज्वाला मन की” इसको तुम प्रतिकार करो। झुको नहीं,रूको…