राजू के घर चली मासी बच्चों के लिए ली गरमा-गरम समोसे। रास्ते मे बंदर आया, झपटा थैला, ले गए समोसे। मासी का उतरा चेहरा ऐसे- जैसे लगे लाल-लाल टमाटर…
Author: Dev Kant Mishra
इंद्रधनुष – देवकांत मिश्र ‘दिव्य’
नभ में इंद्रधनुष को देखो, कितना प्यारा लगता है। मन करता है इसको छू लें, सुंदर न्यारा लगता है।। प्रथम रंग बैंगनी कहाता, रंग दूसरा है नीला। मध्य आसमानी रक्ताभा,…
मनहरण घनाक्षरी- रामपाल प्रसाद सिंह
उपदेश देकर जो, जिंदगी सवार लेते, बेचकर निज कर्म, सहज बनाते हैं। दुनिया को कहे फिर, ,बेकार हैं मोती हीरे, खुद छिप-छिपकर, कुबेर सजाते हैं। उजाला में सत्य जब, नंगा…
गीत- रामपाल प्रसाद सिंह
आज जयंती है दिनकर की, अपनी रचना लिखकर गाओ। जिसने लिखकर समय को मोड़ा, उनकी रचना सुनो सुनाओ।। विषम काल में जीवन पाकर, निर्भयता से लिखना सीखें। बीत गए दशकों…
अद्वितीय कवि दिनकर – अमरनाथ त्रिवेदी
एक अद्वितीय कवि दिनकर केवल बातों पर ही बात नहीं, तथ्यों पर प्रखर रूप से बात करे। कवि वैसा हो जो यथार्थ धरातल पर, प्रखरता से दिल में उतर बरसात…
अद्वितीय कवि दिनकर – अमरनाथ त्रिवेदी
एक अद्वितीय कवि दिनकर केवल बातों पर ही बात नहीं, तथ्यों पर प्रखर रूप से बात करे। कवि वैसा हो जो यथार्थ धरातल पर, प्रखरता से दिल में उतर बरसात…
मेरी हर यात्रा- अवनीश कुमार
सुन री सखी-सहेली! वे राम बने, मैं मर्यादा की सीमा बनूँ, वे कृष्ण बने, मैं राधा की काया बनूँ, वे विष्णु बने, मैं उनकी हरिप्रिया बनूँ, वे शिव बने,…
बेटियाँ- मधु कुमारी
बेटा वंश तो वंश की नींव होती है बेटियाँ! दो कुलों की आन-बान-शान होती है बेटियाँ! कुदरत जब हो मेहरबां तो परियों के देश से आती है बेटियाँ! ईश्वर…
मेरी बेटियाँ- डॉ स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’
मेरी बेटियाँ! मेरे प्रतिरूप, मैं बसती हूँ उनमें, अंतस्थ बिल्कुल अंदर, आद्योपांत सर्वांग, प्राणवायु की तरह। मेरी बेटियाँ! मुस्कुराहटों में, आशाओं में, बातों में, आख्यानों में, संवाद में,…
बेटियाँ- गिरीन्द्र मोहन झा
धन्य वह गेह, जहाँ खिलखिलाती हैं बेटियाँ, धन्य वह गेह, जहाँ चहचहाती हैं बेटियाँ, धर्म-ग्रंथ कहते हैं, गृह-लक्ष्मी होती बहु-बेटियाँ, सारे देवों का वास वहाँ, जहाँ सम्मानित हैं बेटियाँ, बेटी…